फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)। स्वास्थ्य विभाग में बड़ा फर्जीवाला का मामला उजागर हुआ है। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग में एक चौंकाने वाला मामला स...
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Purvanchal Samachar |
मामला क्या है?
जुलाई 2016 में UP Subordinate Services Selection Commission द्वारा करीब 403 X-रे तकनीशियनों को भर्ती किया गया था, जिनमें अर्पित सिंह नाम के छह उम्मीदवार शामिल थे।
ये छह “अर्पित सिंह” फर्रुखाबाद, बदायूं, बलरामपुर, बारा (बांदा), रामपुर और शामली में कार्यरत बताए गए। हर किसी का eHRMS और eSalary कोड अलग था, लेकिन नाम, पिता का नाम और जन्मतिथि एक जैसी थी। चार का स्थायी पता भी एक जैसा था, और दो का अलग।
एक रिपोर्ट के अनुसार, एक “अस्पष्ट पहचान वाले” व्यक्ति ने नौ साल (2016–2025) तक सरकारी वेतन और सुविधाएँ लीं। अनुमानित हिसाब से केवल एक जिले से एक व्यक्ति को नौ साल में लगभग ₹75.16 लाख वेतन मिला। अगर छह जिलों की गणना करें, तो यह रकम लगभग ₹4.5 करोड़ होती है।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया:
विभाग के डायरैक्टर-जनरल (मेडिकल हेल्थ) डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने कहा कि नाम और जन्मतिथि का मेल दुर्लभ रूप से संभव है, लेकिन कई मामलों में ऐसा होना संदेहास्पद है और जांच की आवश्यकता है।
विभागीय कार्रवाई:
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अवनींद्र कुमार ने तीन उप-मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की एक जांच समिति का गठन किया है, जो इस मामले की तह तक जाएगी। अब सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई केवल कागज़ों तक सीमित रहेगी, या इस प्रणालीगत त्रुटि को सुधारने के लिए गहराई से कदम उठाए जाएंगे।
सारांश:
यह मामला एक गहरी प्रणालीगत समस्या का संकेत देता है — जहाँ नौ वर्षों तक लगातार एक फर्जी पहचान ने सरकारी पगार का लाभ उठाया और किसी को पता तक नहीं चला। यह भ्रष्टाचार ही नहीं, बल्कि मर्यादा-हीन नौकरशाही की लापरवाहियों का भी प्रतीक है। अब समय है कि इस घटना से सबक लेकर भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता एवं सिस्टम सुधारों की दिशा में ठोस कार्रवाइयाँ की जाएँ।